राजकुमार बिन्देश्वरी नंदन सिंह शिवहर राज्य के राजकुमार लछमी नंदन सिंह के ज्येष्ठ पुत्र थे। कद में छेह फीट और रंग रूप से बिलकूल श्वेत। बहुत अच्छे से घोड़े की सवारी करते थे और बन्दुक चलने में निपुण थे।आप जमींदारी के कार्य में अपने दादाजी राजकुमार गिरजा नंदन सिंह के भी खूब मददगार थे। इनके पिताजी भी बहुत मेहनती थे और उनका कारोबार औरंगाबाद और टिकरी में भी था। इनकी शादी खुद महाराजाधिराज काशी नरेश सर प्रभु नारायण सिंह ने इनके दादा - राजकुमार गिरजा नंदन सिंह को पत्र लिखकर अपनी भतीजी - सीया देवी (गभीरार एस्टेट) से करवाया।
इनके तीन पुत्र थे -
१. कुमार विशेश्वरी नंदन सिंह
२. कुमार ईश्वरी नंदन सिंह
३. कुमार कामेश्वरी नंदन सिंह
ऊपर के राजकुमार साहेब बहुत बड़े दिल के थे। जब शिवहर में आकाल था तो इन्होने अपने रयत का कर माफ कर दिया। बाबूसाहब में इंसानियत था और बड़े परोपकारी थे। शिवहर में विध्यार्थियों को किताब-कलम, रुपये -पैसे से मदद करते। तभी थो सर प्रभु नारायण सिंह - सर्वे सर्वा भूमिहारों के इनका हाथ मांगे थे अपनी भतीजी के लिए ।
राजकुमार बिन्देश्वरी नंदन सिंह बहुत धार्मिक थे। इन्होने अपनी टिकारी वाली दादी को 'चार - धाम ' यात्रा कराया। वाह पोता हो थो ऐसा। जगह जगह मंदिरों में दान दिया और एक आदर्श इंसान के रूप में जाने गए। ॐ नमः भगवते वासुदेवायः नमः।
राजकुमार साहेब का देहांत काफी कम ऊम्र में हो गया। इनके दादाजी - राजकुमार गिरजा नंदन सिंह ने अपने पोते का पित - ज्वर (येलो फीवर) का इलाज़ कलकत्ता में भी कराया मगर अंततः इस राजकुमार का देहांत पित - ज्वर से हो गया।
इनके तीन पुत्र थे -
१. कुमार विशेश्वरी नंदन सिंह
२. कुमार ईश्वरी नंदन सिंह
३. कुमार कामेश्वरी नंदन सिंह
ऊपर के राजकुमार साहेब बहुत बड़े दिल के थे। जब शिवहर में आकाल था तो इन्होने अपने रयत का कर माफ कर दिया। बाबूसाहब में इंसानियत था और बड़े परोपकारी थे। शिवहर में विध्यार्थियों को किताब-कलम, रुपये -पैसे से मदद करते। तभी थो सर प्रभु नारायण सिंह - सर्वे सर्वा भूमिहारों के इनका हाथ मांगे थे अपनी भतीजी के लिए ।
राजकुमार बिन्देश्वरी नंदन सिंह बहुत धार्मिक थे। इन्होने अपनी टिकारी वाली दादी को 'चार - धाम ' यात्रा कराया। वाह पोता हो थो ऐसा। जगह जगह मंदिरों में दान दिया और एक आदर्श इंसान के रूप में जाने गए। ॐ नमः भगवते वासुदेवायः नमः।
राजकुमार साहेब का देहांत काफी कम ऊम्र में हो गया। इनके दादाजी - राजकुमार गिरजा नंदन सिंह ने अपने पोते का पित - ज्वर (येलो फीवर) का इलाज़ कलकत्ता में भी कराया मगर अंततः इस राजकुमार का देहांत पित - ज्वर से हो गया।