चैनपुर में वहाँ के ज़मींदार परिवारों ने अपने नाती - भगीना को भी स्वीकार किया और उन्हें भी इस पुरानी परिवार का हिस्सा बनाया। उन्ही में से एक मघैया बाबू का परिवार था जो मगध छोड़ कर चैनपुर में अपने ननिहाल में बस गए क्योंकि उस परिवार में कोई वंश चलाने वाला पुत्र नहीं प्राप्त हुआ था। आज उनके पास मार्किट है, अच्छी खेती है और साथ साथ यह पुराना मंदिर भी -